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राहु केतु जनित कालसर्प व नागदोष को आज नाग पंचमी को ऐसे करें शान्त जाने विधि

🌸नागपंचमी🌸

👉 श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है, इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं, सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है ….

👉 जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता, इस बार यह पर्व 25 जुलाई, शनिवार को है, इस दिन शिव पर स्थित नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है-

✍️ पूजन विधि

👉 नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें, इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-

👉 अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
👉 शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
👉 एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
👉 सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
👉 तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।

👉 इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें, नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं, इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं, यह प्रार्थना करें-

👉 सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
👉 ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
👉 ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
👉 ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

👉 प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जप करें-

👉 ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्

👉 इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें 🐍

👉 ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
👉 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।

👉 इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:
👉 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

👉 कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
👉 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
👉 इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
👉 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
👉 सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
👉 नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
👉 मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:
👉 नमोस्तुतेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा!!

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