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मंगलवत् केतु क्यों माना गया है?

🌸मंगलवत् केतु🌸

👉राहु इतना खराब नहीं जितना केतु है राहु दुःख देता है तो वापस जातक की भावनाओ को समझ के उसे संसारिक सुख भी देता है, एक पल में जातक की किस्मत भी बदल देता है , उसे यह एहसास करवा देता है कि किस्मत नाम की भी कोई चीज है…

👉लेकिन इसकी बजाय केतु की दशा या अंतर्दशा आये तो वह सबसे पहले पूर्व जन्म के किये बुरे कर्मो का फल देगा जातक को निरशावादी बना देगा, और अंत में निराश जातक जिसके पास कोई चारा नहीं और वो सांसारिक दुःखो से दुखी होके मजबूरी में धर्म का रास्ता अपनाता है, और लोग कहते है केतु मोक्ष का कारक है…

👉 मोक्ष के लिये कर्मो को भोगना नहीं काटना पड़ता है, जो की केतु नहीं करवा सकता वो सिर्फ और सिर्फ गुरु ग्रह ही करवा सकते है, केतु मंगलवत् ही आचरण करता है, उद्दंडता में वृद्धि करना देगा, फिर जहरीले रोग या अकस्मात् कोई तकलीफ..

👉यकीन मानिये राहु की दशा में केतु की अंतर्दशा आये और कुछ बुरा ना होतो वो ही सबसे अच्छा है, कृपा है कर्मो की वरना ये किसी को न छोडे….

👉संभल के रहना चाहिए केतु से, नित्य हनुमान जी और भैरव की आराधना से केतु शांत रहते है, धर्म में लीन रहने से केतु पूर्व की स्मृति दे देगा, जिससे जन्म का हेतु समझ आता हैं।

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