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स्वर्ग-द्वारी-व्रत

स्वर्गद्वारी व्रत का प्रारम्भ जिस साल में 9 महीने में तीन सोमवती अमावस्या पड़े उसी वर्ष प्रथम सोमवती से करना चाहिए| इसमे अमावस्या को जौ पूर्णिमा को चावल का सेवन करना चाहिए| व्यतिपात (बितिबात) संक्रान्ति, एकादशी व्रत निराधारा करना चाहिए| बहते हुए नल या नदी के जल का सेवन करना चाहिए , घर में पिसे हुए आटे का भोजन करना चाहिए | इस व्रत का उद्यापन वैतरणी की तरह ही होता हैं, 16 जोड़ो का भोजन करवाकर दान आदि करना चाहिए||

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