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सूर्य ग्रहण में किये गए कुछ ऐसे कार्य जो बनते हैं आपके परेशानी का कारण ?

इस बार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण दिसम्बर में 26 तारीख को लग रहा है|जो साल का तीसरा ग्रहण भी है|इससे पहले 6 जनवरी को पहला ग्रहण और 2 जुलाई को दूसरा ग्रहण लगा था|ग्रहण के समय अपने दैनिक कार्यों में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाना जरुरी होता …

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कंकणाकृति खंडग्रास सूर्यग्रहण (26 दिसम्बर,2019ई.)

ज्योतिर्विद गजानन शास्त्री ने बताया कि यह कंकणाकृति,खंडग्रास सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर सन्2019 ई.को पौषी अमावस गुरुवार के दिन समस्त भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा|  दक्षिण भारत में कर्नाटक,केरल व तमिल नाडू के कुछ नगरों में इस ग्रहण की कंकणाकृति भी देखने को मिलेगी| यह ग्रहण विश्व के …

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ग्रहण काल में भोजन निषिद्ध क्यों ?

सूर्य और चन्द्र ग्रहण के समय भोजन निषिद्ध है|प्राचीन ऋषियों के अनुसार ग्रहण के दौरान खाद्य पदार्थों तथा जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उन्हें दूषित कर देते हैं जिससे विभिन्न रोग होने की सम्भावना रहती है|ऐसी स्थिति में खाद्य पदार्थों में कुश डाल देने पर उनमे कीटाणु एकत्रित …

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दक्षिण दिशा शुभ या अशुभ ?

वैसे तो दक्षिण शुभ दिशा है,मगर इसके विषय में जनमानस में ग़लतफहमी प्रचारित है|इसका कारण यह है की हर दिशा के लिए एक लोकपाल की नियुक्ति की गयी है|उसके अनुसार दक्षिण दिशा के लोकपाल यम हैं|सामान्य लोगों के मन में डर एंव अज्ञानता के कारण यम के विषय में तिरस्कार …

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उपवास क्यों ?

उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – अन्न ग्रहण न करना या उपवास के पदार्थ खाना|उपवास में आलस्य,निद्रा,एंव पित्त विकार आदि का उद्भव न हो;इसलिए कम अन्न भक्षण करना आवश्यक रहता है|इसके लिए धर्म शास्त्र ने हविष्य पदार्थों की सूचि भी बनायीं है|उपवास अच्छी तरह हो,ऐसी इच्छा होने पर दिन भर …

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प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है?

प्रदोष शिव व्रत है,प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है|इसमें उस कालावधि तक उपवास रखकर शिव पूजा करके उपवास समाप्त किया जाता है|प्रदोष व्रत के चार प्रकार हैं – शनिवार को आने वाले प्रदोष ‘शनि प्रदोष’के नाम से जाना जाता है|उत्तम गुण संपन्न पुत्र प्राप्ति की कामना से शनि …

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कालसर्प योग की शांति शिवपूजन से करें?

कालसर्प एक ऐसा योग है,जिसमे व्यक्ति जहा से चलता है,लौटकर वहीँ आ जाता है|कारोबार या नौकरी में व्यक्ति हजारों-लाखों कमाता है,और एक ही दिन में उसका कमाया धन नष्ट हो जाता है|तात्पर्य यह है कि यह वो योग है,जो सांप-सीढी के खेल में 99 आने पर सर्प काट लेता है …

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काल सर्प योग क्या है?

काल सर्प दोष विवाद का विषय है|इस योग के दुष्परिणाम एंव उनके अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन की अनदेखी किये जाने पर भी एक बात निर्विवाद रूप से माननी पड़ती है की इस योग में निश्चित रूप से तथ्यांश है|इसका कारण यह है कि कालसर्प योग में जन्मे व्यक्ति का कोई न …

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गायत्री मन्त्र की महिमा क्यों?

मन्त्रों में गायत्री मन्त्र को विशेष प्रभावशाली माना गया है|वैसे भी गायत्री मन्त्र अन्य मन्त्रों की तुलना में सबसे अधिक प्रचलित रहा है और इसके प्रति मानव की अगाध श्रद्धा भी रही है –भूर्भुव स्वः|तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गों देवस्य धीमहि|धियो यो नः प्रचोदयात्| इस मन्त्र की महिमा असीम है|समय-समय पर हमारे ऋषि-मुनि,तपस्वी,गुरु …

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संकट निवारण महामृत्युंजय मन्त्र से क्यों ?

प्राचीन ग्रंथों में भगवन शिव को प्रसन्न करने,अकालमृत्यु से बचने तथा असाध्य रोगों से मुक्त होने के लिए भगवन शिव के महामृत्युंजय मन्त्र के जाप का उल्लेख किया गया है|इस जप के प्रभाव से व्यक्ति मौत के मुह में जाने से भी बच जाता है|   यदि मारक गृह-दशाओं के …

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