वसंत पंचमी 22 जनवरी 2018 को सरस्वती पूजन देगा विद्या और बुद्धि |
यह पर्व माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है| यह पर्व वास्तव में ऋतुराज वसंत की अगवानी की सूचना देता हैं| इस दिन से ही होली तथा धमाल गीत प्रारम्भ किये जाते हैं| गेहू तथा जौ की स्वर्णिम बालिया भगवान को अर्पित की जाती हैं| इस दिन भगवान विष्णु व सरस्वती के पूजन का विशेष फल हैं| वसंत ऋतु कामोद्दीपक होती हैं, इसलिए चरक संहिता का कथन हैं कि इस ऋतु में स्त्रियों तथा वनों का सेवन करना चाहिए| इसके प्रमुख देवता काम व रति हैं| अतएव काम तथा रति की प्रधानतया पूजा करनी चाहिए|
व्रत की कथा- भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे संसार में देखते हैं तो चारो और निर्जन सुनसान ही दिखाई देता हैं| उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था, जैसे किसी के वाणी न हो| यह देखकर ब्रह्मा जी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमण्डल से जल छिड़का | उन जलकणों के पड़ते ही वृक्षों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथो से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथो में क्रमशः पुस्तक व माला धारण किए थी | ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा| तब उस देवी ने वीणा के मदुर नाद से सब जीवों को वाणी प्रदान की, इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया| यह देवी विद्या, बुद्धि, को देने वाली हैं| इसलिए हर घर में सरस्वती की पूजा की जाती हैं||