चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 18 मार्च रविवार को भारतीय नवसंवत्सर 2075, शुरू होगा | विरोधकृत नामक इस संवत्सर का राजा सूर्य और मंत्री शनि होगा| इसके साथ ही आकाशीय कौंसिल का नया मंत्री मंडल भी गठित हो जाएगा, जो कल्पादि काल निम्न होंगे|
कल्पादि के गतवर्ष- १९७२९४९११९
सृष्टि संवत- १९५५८८५११९
श्री विक्रम संवत- २०७५
शक संवत- १९४०
श्री कृष्ण जन्म संवत- ५२५४
कलि संवत- ५११९
सप्तर्षि संवत- ५०९४
जैन महावीर निर्वाण संवत-२५४३-४४
बुद्ध संवत-२६४१-४२
हिजरी सन – १४३९-४०
फसली सन- १४२५-२६
ईस्वी सन-२०१८-१९
वर्षारम्भ में गुरुमान से शिव (रूद्र) विंशति का “विरोधकृत” नामक संवत्सर है| यह वराहमिहिर द्वारा निर्दिष्ट “नवम युग” किंवा शिव में (रूद्र) विंशति का चतुर्थ संवत्सर हैं| इसका फल शास्त्रों में इस प्रकार लिखा हैं|
खण्ड वृष्टिर्भवेत देवि सस्यहानिश्च जायते|
कोंकणे मध्यदेशेषु विरोधाश्चाहि मंडले ||
अर्थात्- “विरोधकृत” संवत्सर में कहीं खण्ड वृष्टि , कहीं सुखा, कही स्वल्प वर्षा की स्तिथि बनती हैं| जिससे कही भयंकर सूखा,(दुर्भिक्ष) कहीं खड़ी फसलो को हानि पहुचेगी| यह स्तिथि कोंकण नागपुर, किंवा मध्य भूभाग पर अधिक प्रभावी रहेगी|
वर्ष-प्रबोध ग्रन्थ में विरोधकृत संवत्सर का फल इस प्रकार लिखा है|
विरोधकृत वत्सरे तु परस्पर विरोधिन: |
सर्वे जना नृपाश्चैव मध्य-सस्या तु मेदिनी ||
अर्थात्- जैसाकि संवत्सर के नाम से ही संकेत मिलता है, कि वर्षा की कमी रहे कहीं दिर्भिक्ष हो, जनता त्रस्त हो, खाद्य पदार्थो की उपलब्धता भी कम होगी| शासक व शासित में इस वर्ष में मतभेद बढेगा, जिससे राज नैतिक परिदृश्य भी बदलता नजर आएगा| परिणाम आश्चर्यजनक होंगे||
संवत २०७५ में राजा (गृह परिषद् का प्रधान) सूर्य, मंत्री शनि, सस्येश (चौमासी फसलों का स्वामी) चन्द्र, धान्येश (शीतकालीन फसलों का स्वामी) सूर्य, मेघेश (मौसम,वर्षा-पानी के स्वामी) शुक्र, रसेश बुध, नीरसेश चन्द्र, फलेश गुरु, धनेश चन्द्र, दुर्गेश शुक्र है|
संवत २०७५ के उल्लेखित पदाधिकारियों का फल अगले लेख में दूंगा|
आचार्य गजानन शास्त्री
श्री हरसिद्धि नक्षत्र ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र
Astrowelfare foundation
195/1/1 kolkata 007