लक्ष्मी पूजन के लिए पहले सफेदी से दीवाल पोत लें|फिर गेरुआ रंग से दीवाल पर ही बहुत सुन्दर गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति बनाएं|इसके अलावा जिन देवी देवताओं को और मानते हो,उनकी पूजा करने को उनके मंदिरों को जावें|साथ में जल,रोली,चावल,खील,बताशें,अबीर,गुलाब,फूल,नारियल, मिठाई,दक्षिणा,धूंप,दियासलाई आदि सामग्री ले जावें और पूजा करें|फिर मंदिरों से वापिस आने के बाद अपने घर के ठाकुर जी की पूजा करें|
गणेश लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा बाज़ार से लावें|अपने व्यापार के स्थान गद्दी पर बही खातों की पूजा करें और हवन करावें|गद्दी की पूजा और हवन आदि के लिए पंडित जी से पूछ कर सामग्री इकट्ठा करें|घर में जो सुन्दर-सुन्दर भोजन मिठाई आदि बनी हों उनमे से थोड़ा-थोड़ा देवी-देवताओं के नाम का निकालकर ब्राह्मणों को दे देवें|इसी के अलावा एक ब्राह्मण को भी भोजन करा देवें|इस दिन धन के देवता धनपति कुबेरजी,विघ्न विनाशक गणेशजी,राज्य सुख के दाता इन्द्रसेन,समस्त मनोरथों को पूरा करने वाले विष्णु भगवान तथा बुद्धि की दाता सरस्वती जी की भी लक्ष्मी जी के साथ पूजा करें|दिवाली के दिन दीपकों की पूजा का बहुत महत्व है|इसके लिए दो थालों में दीपकों को रखें|छहः चौमुखा दीपक दोनों थालों में सजाएं|छब्बीस छोटे दीपकों में तेल बत्ती रखकर जला लेवें|फिर जल,रोली,खील,बताशे,चावल,फूल,गुड़ अवीर,गुलाल धूप आदि से उनको पूजे और टिका लगा लेवें फिर गद्दी(व्यापार का स्थान) की गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करें|इसके बाद घर में जाकर पूजा करें|पहले तो पुरुष पूजा कर लें फिर स्त्रियां पूजा करें|पूजा करने के बाद दीपकों को घर में स्थान-स्थान पर रख देवें|एक चौमुखा और छह छोटे दीपक गणेश लक्ष्मी के पास ही रख देवें|स्त्रियाँ लक्ष्मी का व्रत करें|इसके बाद जितनी श्रद्धा हो उतने रुपये बहुओं को देवें|घर के सभी छोटे, माता-पिता,सभी बड़ों के पैर छुएँ और आशीर्वाद लेवें|
जहाँ दीवार पर गणेश लक्ष्मी बनायें हो वहां उनके आगे 1 पट्टे पर एक चौमुखा दीपक और छह छोटे दीपक में घी बत्ती डालकर रख देवें तथा रात्रि के बारह बजे पूजा करें,दूसरे पट्टे पर एक लाल कपड़ा बिछावें|उस पर चांदी या मिट्टी के गणेश लक्ष्मी रखें|उनके आगे 101 रुपये रखें|एक बर्तन में एक सेर चावल,गुड़, 4 केला,दक्षिणा,मूली,हरी ग्वारफली,4 सुहाली,मिठाई आदि गणेश लक्ष्मी के पास रखें|फिर गणेश,लक्ष्मी,दीपक,रुपये आदि सबकी पूजा करें|एक तेल के दीपक पर काजल पाल ले|फिर इसे सभी स्त्री पुरुष अपनी आँखों में लगावें|
दिवाली पूजन की रात को जब सब सोकर सुबह उठते हैं उससे पहले स्त्रियाँ घर के बहार सूप बजाकर गाती फिरती है|इस सूप पीटने का मतलब यह होता है कि जब घर में लक्ष्मी का वास हो गया तो दरिद्रता को घर से निकाल देना चाहिए|उसे निकालने के लिए ही सूप बजाती हैं|साथ ही दरिद्रता से कहती जाती हैं|
दोहा-काने भेड़ दरिद्र तू,जाघर से अब भाग|
तेरा यहाँ कुछ काम नहिं,वास लक्ष्मी आग|
नहिं आगे डंडा पड़े,और पड़ेगी मार|
लक्ष्मी जी बसती जहाँ,गले न तेरी दार|
फिरि तु आवे जो यहाँ,होवे तेरी हार|
इज्ज़त तेरी नहिं करे,झाड़ू ते दें मार|
फिर घर में आकर स्त्रियाँ कहती हैं इस घर से दरिद्र चला गया है|हे लक्ष्मी जी!आप निर्भय होकर यहाँ निवास करिए|