बासोड़ा शीतलाष्टमी पूजन
इस बार 9 मार्च 2018 चैत्र कृष्णा अष्टमी शुक्रवार को (बासोड़ा) पूजन का शुभ योग बन रहा हैं|
अर्थात्- गुरुवार को बासोड़ा बनाया जाएगा और शुक्रवार को प्रात:काल में शीतला माता का पूजन करके भोग लगेगा |
बीरा भिगोने का मुहूर्त – 8 मार्च 2018 को शाम 05:11 से 06:39 तक
लोकाचार अनुसार कुछ लोग सप्तमी को भी पूजन करते हैं|
- वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
- मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
- गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं। शीतला माता के इस वंदना मंत्र से यह पूर्णत: स्पष्ट हो जाता है कि ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं। हाथ में मार्जनी झाडू होने का अर्थ है कि हम लोगों को भी सफाई के प्रति जागरूक होना चाहिए। कलश से हमारा तात्पर्य है कि स्वच्छता रहने पर ही स्वास्थ्य रूपी समृद्धि आती है।
मान्यता अनुसार इस व्रत को करनेसे शीतला देवी प्रसन्न होती हैं और व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्रों के समस्त रोग, शीतलाकी फुंसियों के चिन्ह तथा शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं।
विधि:- बासोड़ा के एक दिन पहले गुड चीनी का मीठा भात या दलिया आदि बनाना चाहिए| मोठ, बाजरी, भिगोकर तथा रसोई की दिवार धोकर हाथ सहित पांच उंगलिया घी में डुबोकर एक छापा लगाना चाहिए | रोली,मोली,चावल, चढ़ाकर शीतला के गीत गाना चाहिए| बासोड़ा के दिन प्रात:काल एक थाली में भात दलिया, रोटी, दही, चीनी, घी पानी का कलश रोली,मोली,मोठ,बाजरी,के बीरा,हल्दी धूपबत्ती एक गूलरी (बडकुल्ला) की माला राख से बनाए पिंडिये आदि सामान से माता का पूजन करना चाहिए| घर के सभी बच्चो के मुह को माताएं कच्चे दूध व पानी से धोकर तिलक लगाए, इससे शीतला माता प्रसन्न व ठंडी रहती हैं| यदि किसी के घर में कुंडारा भरता हो तो वे एक बड़ा कुंडारा में राबड़ी,एक में भात,रसगुल्ला,बाजरा,हल्दी पीस कर रख लेवे| फिर सब कुंडारे एक बड़े कुंडारे में रख ले और हल्दी का टिका लगाकर सबका पूजन करलेवे और समस्त पूजन सामग्री शीतला माता को लेजाकर चढ़ा देवे | कुंडारे की पूजा के पश्चात् कहानी सुन लेवे |
कथा-