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यज्ञ में आहुति के साथ स्वाहा का उच्चारण क्यों ?

पुराणेतिहास से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि जब भी असुरों ने देवताओं को पराजित किया,उन्होंने यज्ञों का भी विध्वंस किया|देवताओं की पुष्टि नहीं होने देना चाहते|

पूर्व मिमांसी के अनुसार यज्ञाग्नि के माध्यम से भेजी गई आहुतियों देवताओं तक अवश्य पहुँचती है|प्रज्वलित अग्नि में मंत्रोच्चारण के साथ ‘स्वाहा’बोलते हुए यज्ञ सामग्री और घृत की आहुतिया दी जाती है|चूँकि अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा है,इसलिए स्वाहा बोलकर उनके माध्यम से अग्नि को हविष्य भेंट करने का विधान है|

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