मेष :- चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ(ल=लृ,अ=अं,आ) , मेष :- चु चे चो ला ली ले लो अ (ल=लृ,अं=आ) इस पुरे वर्ष में आपका राश्येष मंगल पराक्रम स्थान से राज्य स्थान तक चलेगा जो परिश्रम से राजयोग,सफलता,व्यवसाय में प्रगति लाभ,विजय कारक वर्ष रहेगा|पुरे वर्ष में गुरु 11वे चलेगा जो शुभकार्यों में खर्च,भाग्य में धन …
Read More »तुला (libra)राशिफल-2022/23
तुला :- रा री रु रे रो ता ति तु ते (र=ऋ,त=तृ,त्रि) इस पुरे वर्ष में मकर स्व शनि चौथे ढैय्या पनौती लोह के पाया अश्व वाहन पर चलेगी|वैसे शनि पनौती संघर्ष देती है|गलत मार्ग पर चलने से दण्डित भी करती है तथापि स्व शनि संपत्ति सुख,संतान सुख,मनोबल वृद्धि कारक …
Read More »अग्नि के फेरे क्यों ?
अग्नि पृथ्वी पर सूर्य की प्रतिनिधि है|सूर्य जगत की आत्मा तथा विष्णु का रूप है|अतः अग्नि के समक्ष फेरे लेने का अर्थ है-परमात्मा के समक्ष फेरे लेना|अग्नि ही वह माध्यम है जिसके द्वारा यज्ञीय आहुतियाँ प्रदान करके देवताओं को पुष्ट किया जाता है|इस प्रकार अग्नि के रूप में समस्त देवताओं …
Read More »रुद्राक्ष सिद्धि कैसे ?
रुद्राक्ष एक वनस्पति है|इसके पेड़ पर बेर जैसे फल लगते हैं|कहा जाता है कि त्रिपुरासुर का वध करते समय रुद्रावतार धारण किये भगवान शंकर की आँखों से बहने वाला जल रुद्राक्ष के रूप में पृथ्वी पर साकार हुआ|रुद्राक्ष की शक्ति एंव औषधि गुण प्रयोगशाला में जांच करने के बाद सिद्ध …
Read More »जप कैसे करें?
जप के मुख्यतः चार प्रकार हैं-पहला वैखरी,दूसरा उपांशु और तीसरा पश्यन्ति और चौथा परा|किसी भी परश्चरण के लिए मानसिक जप की ही आवश्यकता रहती है|कोई भी मन्त्र एकदम मानसिक रीति से नहीं जपा जा सकता है|इसके लिए प्रारंभ में उस मन्त्र को वैखरी से ही जपना चाहिए|वैखरी जप का अर्थ …
Read More »हरि ॐ का उच्चारण क्यों ?
वेठ पाठ के आरंभिक मंत्रोच्चारण से पूर्व ‘हरि ॐ’का उच्चारण करना वैदिकों की परंपरागत प्रणाली है,इसका तात्पर्य यह है कि वेद के अशुद्ध उच्चारण में महापातक लगता है और अत्यधिक सावधान रहने पर भी मनुष्य सुलभ स्वर वर्ण वृद्धावास्थाजन्य अशुद्धि हो जाने की पूरी सम्भावना रहती है| अतः इस संभावित …
Read More »भगवान श्रीकृष्ण लोकप्रिय क्यों ?
श्रीराम बारह कला पूर्ण अवतार थे और श्रीकृष्ण सोलह कला से परिपूर्ण थे|संयोगवश जिस अवतार को जितनी अधिक लीलाएँ प्रकट करने का और जितनी अधिक कलाओं का प्रदर्शन का अवसर मिला,तदनुसार व्यव्हार में वह उतनी ही कला का कहा जाने लगा|राम और कृष्ण दोनों ही विष्णु के अवतार हैं| इनके …
Read More »मौन धारण क्यों ?
नित्य मौन के विषय में धर्म शास्त्र कहता है – उत्सर्ग मिथुने चैव प्रस्त्रवे दन्तधावने|श्राद्धे भोजनकाले च षट्सू मौनं समाचरेत||अर्थात् मल-मूत्र श्लेष्मा,नाक-कान का मैल,पसीना और आँखों के चिपड़े की सफाई करते समय,मैथुन के अवसर पर,शरीर के घाव से रक्त बहने पर,दांत का मंजन करते हुए,श्राद्ध काल में तथा भोजन करते …
Read More »क्यों चढ़ाया जाता है सूर्य को जल ?जानें जल चढ़ाते समय कौन सा मन्त्र काम में लें ?
सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं|पञ्च देवों में से एक हैं|सूर्य को प्रत्यक्ष देवता स्वीकार गया है|सूर्य काल के नियामक हैं|जीवन को व्यवस्था सूर्य से ही मिलती है|पुरानों में सूर्योपासना को सर्वरोगों को हरने वाले कहा गया है| हिन्दू संस्कृति में अर्घ्यदान(जल देना)सामने वाले के प्रति श्रद्धा और आस्था का …
Read More »मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है ?
परम्परा हैं कि किसी भी मन्दिर में दर्शन के के बाद बाहर आकर मंदिर की पैदी या आटले पर थोड़ी देर बैठना|क्या आप जानते हैं इस परम्परा का क्या कारण है? आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर/व्यापार/राजनीति इत्यादि की चर्चा करते हैं,परन्तु यह प्राचीन परंपरा एक …
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