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Tag Archives: astrology

मौन धारण क्यों ?

नित्य मौन के विषय में धर्म शास्त्र कहता है – उत्सर्ग मिथुने चैव प्रस्त्रवे दन्तधावने|श्राद्धे भोजनकाले च षट्सू मौनं समाचरेत||अर्थात् मल-मूत्र श्लेष्मा,नाक-कान का मैल,पसीना और आँखों के चिपड़े की सफाई करते समय,मैथुन के अवसर पर,शरीर के घाव से रक्त बहने पर,दांत का मंजन करते हुए,श्राद्ध काल में तथा भोजन करते …

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क्यों चढ़ाया जाता है सूर्य को जल ?जानें जल चढ़ाते समय कौन सा मन्त्र काम में लें ?

सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं|पञ्च देवों में से एक हैं|सूर्य को प्रत्यक्ष देवता स्वीकार गया है|सूर्य काल के नियामक हैं|जीवन को व्यवस्था सूर्य से ही मिलती है|पुरानों में सूर्योपासना को सर्वरोगों को हरने वाले कहा गया है|    हिन्दू संस्कृति में अर्घ्यदान(जल देना)सामने वाले के प्रति श्रद्धा और आस्था का …

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मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है ?

परम्परा हैं कि किसी भी मन्दिर में दर्शन के के बाद बाहर आकर मंदिर की पैदी या आटले पर थोड़ी देर बैठना|क्या आप जानते हैं इस परम्परा का क्या कारण है?  आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर/व्यापार/राजनीति इत्यादि की चर्चा करते हैं,परन्तु यह प्राचीन परंपरा एक …

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कंकणाकृति खंडग्रास सूर्यग्रहण (26 दिसम्बर,2019ई.)

ज्योतिर्विद गजानन शास्त्री ने बताया कि यह कंकणाकृति,खंडग्रास सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर सन्2019 ई.को पौषी अमावस गुरुवार के दिन समस्त भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा|  दक्षिण भारत में कर्नाटक,केरल व तमिल नाडू के कुछ नगरों में इस ग्रहण की कंकणाकृति भी देखने को मिलेगी| यह ग्रहण विश्व के …

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ग्रहण काल में भोजन निषिद्ध क्यों ?

सूर्य और चन्द्र ग्रहण के समय भोजन निषिद्ध है|प्राचीन ऋषियों के अनुसार ग्रहण के दौरान खाद्य पदार्थों तथा जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उन्हें दूषित कर देते हैं जिससे विभिन्न रोग होने की सम्भावना रहती है|ऐसी स्थिति में खाद्य पदार्थों में कुश डाल देने पर उनमे कीटाणु एकत्रित …

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दक्षिण दिशा शुभ या अशुभ ?

वैसे तो दक्षिण शुभ दिशा है,मगर इसके विषय में जनमानस में ग़लतफहमी प्रचारित है|इसका कारण यह है की हर दिशा के लिए एक लोकपाल की नियुक्ति की गयी है|उसके अनुसार दक्षिण दिशा के लोकपाल यम हैं|सामान्य लोगों के मन में डर एंव अज्ञानता के कारण यम के विषय में तिरस्कार …

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उपवास क्यों ?

उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – अन्न ग्रहण न करना या उपवास के पदार्थ खाना|उपवास में आलस्य,निद्रा,एंव पित्त विकार आदि का उद्भव न हो;इसलिए कम अन्न भक्षण करना आवश्यक रहता है|इसके लिए धर्म शास्त्र ने हविष्य पदार्थों की सूचि भी बनायीं है|उपवास अच्छी तरह हो,ऐसी इच्छा होने पर दिन भर …

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प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है?

प्रदोष शिव व्रत है,प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है|इसमें उस कालावधि तक उपवास रखकर शिव पूजा करके उपवास समाप्त किया जाता है|प्रदोष व्रत के चार प्रकार हैं – शनिवार को आने वाले प्रदोष ‘शनि प्रदोष’के नाम से जाना जाता है|उत्तम गुण संपन्न पुत्र प्राप्ति की कामना से शनि …

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कालसर्प योग की शांति शिवपूजन से करें?

कालसर्प एक ऐसा योग है,जिसमे व्यक्ति जहा से चलता है,लौटकर वहीँ आ जाता है|कारोबार या नौकरी में व्यक्ति हजारों-लाखों कमाता है,और एक ही दिन में उसका कमाया धन नष्ट हो जाता है|तात्पर्य यह है कि यह वो योग है,जो सांप-सीढी के खेल में 99 आने पर सर्प काट लेता है …

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संकट निवारण महामृत्युंजय मन्त्र से क्यों ?

प्राचीन ग्रंथों में भगवन शिव को प्रसन्न करने,अकालमृत्यु से बचने तथा असाध्य रोगों से मुक्त होने के लिए भगवन शिव के महामृत्युंजय मन्त्र के जाप का उल्लेख किया गया है|इस जप के प्रभाव से व्यक्ति मौत के मुह में जाने से भी बच जाता है|   यदि मारक गृह-दशाओं के …

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