रक्षाबंधन (श्रावणी पूर्णिमा)
अपराह्ण व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा में रक्षाबंधन किया जाता है| भद्रा में यह नहीं होता-“भाद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा|”
जब पहले दिन अपराह्ण में भद्र हो,दुसरे दिन पूर्णिमा मुहूर्तत्रयव्यापिनी हो और भले ही वह अपराह्ण से पूर्व ही समाप्त हो जाए,तब रक्षाबंधन दुसरे ही दिन अपराह्ण में करना चाहिए,क्योंकि उस समय वहां साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व होता ही है| इस बारे ‘पुरुषार्थचिंतामणिकार’ का यह वचन विशेष प्रमाण है-“यदा द्वितीयापराह्णात् पूर्वं समाप्ता,तदापि ‘भद्रायां द्वे न कर्तव्ये’……इति भद्रायां निषेधादुत्तरैव|तत्र तिथ्यनुरोधेन अपराह्णात्पुर्वं अनुष्ठाने अपराहणस्य सर्वथा बाधापत्तेः, अपरह्णे ज्योतिष शास्त्र प्रसिद्ध-तथ्यभावेऽपि साकल्य-बोधित-तिथि-सत्त्वा तत्रैव अनुष्ठानं |”
जब दुसरे दिन पूर्णिमा मुहूर्तत्रयव्यापिनी नहीं होगी,तब अपराह्ण में साक्ल्यापादित पूर्णिमा भी नहीं होगी-यह स्पष्ट है| ऐसी स्थिति में पहले ही दिन प्रदोष के उत्तरार्ध में अथवा भद्रा की समाप्ति पर रक्षाबंधन करना चाहिए-यही शास्त्रादेश है|इस बारे में ‘पुरुषार्थ चिंतामणि’का यह वाक्य देखिये-“यदा तूत्तरत्र मुहुर्तद्वय (त्रय) मध्ये किंचित न्यूना पौर्णमासी तदापरान्हे सर्वथा तद भावात् , प्रदोष-पश्चिमौ-यामौ दिनवत् कर्म चाचरेत्, इति पराशरात् भद्रान्ते प्रदोष-यामे अनुष्ठानम्|”
पंजाब आदि अनेक प्रान्तों में परम्परया रक्षाबंधन के लिए अपराह्ण को स्वीकार नहीं किया जाता और मध्यान्ह से पूर्व ही(विशेषतयः प्रातः काल ही)रक्षाबंधन कर लिया जाता है| लेकिन यह शास्त्रानुमोदित नहीं है और भद्रा में तो रक्षाबंधन शास्त्रों द्वारा वर्जित माना गया है|
ध्यान रहे- ग्रहण वेध (सूतक)तथा संक्रांति दिन में यह निर्बाध मनाया जाता है| इस वर्ष 11 अगस्त 2022 ई. को अपराह्ण व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा भद्रा से दूषित है| इस वर्ष इस दिन (11-8-22 को)प्रातः 10 घं.39 मि.तक चतुर्दशी है| चतुर्दशी में रक्षाबंधन नहीं होता| तदन्तर इस दिन भद्रा 10 घं.39 मि.से 20 घं. 52 मि. तक है| दुसरे दिन 12 अगस्त 2022 ई.को पूर्णिमा त्रिमुहुर्ताल्पा है| अतः 12 अगस्त 22 को रक्षाबंधन किसी भी स्थिति में नहीं हो सकता|
स्पष्ट- पहले दिन 11 अगस्त 2022 ई.को ही प्रदोषोतरार्ध में अथवा भाद्रोपरांत रक्षाबंधन होगा| इस दिन (11 अगस्त 2022 ई.)को प्रदोष काल चंडीगढ़ व आस-पास के प्रदेशों/नगरों में लगभग 19 घं.05 मि.से 21 घं.14 मि.तक है| प्रदोष-उत्तरार्ध इस दिन 20 घं.52 मि.के बाद ही रक्षाबंधन करें| लेकिन ध्यान रहे – इसे निशीथ से पूर्व अवश्य ही कर लें|
Good luck!