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प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है?

प्रदोष शिव व्रत है,प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है|इसमें उस कालावधि तक उपवास रखकर शिव पूजा करके उपवास समाप्त किया जाता है|प्रदोष व्रत के चार प्रकार हैं – शनिवार को आने वाले प्रदोष ‘शनि प्रदोष’के नाम से जाना जाता है|उत्तम गुण संपन्न पुत्र प्राप्ति की कामना से शनि प्रदोष व्रत किया जाता है|इसके अतिरिक्त यदि गर्भ में ही संतति की प्रगति रुक जाए तो उसके निवारण के लिए भी शनि प्रदोष व्रत रखा जाता है|शनि प्रदोष व्रत की कालावधि 3 वर्षों की होती है|मंगलवार के दिन आने वाला प्रदोष ‘मंगल प्रदोष’कहलाता है|यदि आर्थिक स्थिति ख़राब हो या कर्ज का बोझ बढ़ता जाए तो मंगल प्रदोष व्रत रखा जाता है|सोमवार को आने वाला प्रदोष ‘सोम प्रदोष’कहलाता है|यह व्रत कुलदेवता की पूजा खंडित हो जाने से उत्पन्न बाधा को दूर करने के उद्देश्य से रखा जाता है|साथ ही योग साधना एंव उपासना फलवती हो,इसके लिए भी सोम प्रदोष व्रत किया जाता है|

प्रत्येक 15 दिनों पर त्रयोदशी को आने वाला प्रदोष ‘पक्ष प्रदोष’कहलाता है|पक्षप्रदोष में शनि,मंगल एंव सोम – इन तीनों प्रदोषों का समावेश रहता है|इन चारों प्रकार के प्रदोषों में दिन भर उपवास,शिव की आराधना,स्तोत्र पठन एंव शिव पूजन तथा उपवास समाप्ति का क्रम रहता है|नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को इन तीनों व्रतों का लाभ ही प्राप्त नहीं होता प्रत्युत लौकिक एंव पारमार्थिक धरातल पर भी उसकी उन्नति होती है|

उपवास प्रदोष का प्रधान अंग है|इस व्रत के पहले दिन रात को उपवास रखें या रात्रि के प्रथम प्रहर में भोजन करें|उपवास में केवल पानी पियें|यदि स्वास्थ्य की दृष्टि से केवल पानी पर रहना संभव न हो तो नारियल का पानी,फलों का रस,या दूध के पदार्थ लें|किन्तु मूंगफली के दाने अथवा साबूदाना आदि पकाए पदार्थ न लें|जड़ अथवा पित्तकारक पदार्थों का सेवन न करें|प्रदोष के दुसरे दिन विष्णु पूजन अनिवार्य रूप से करें|

प्रदोष व्रत रखने का अधिकार सभी उम्र के स्त्री-पुरुष को प्राप्त है|यदि वैवाहिक सम्बन्धों में अवरोध उत्पन्न हो,संतति कुमार्गी हो,कर्ज से पीड़ित हो,सभी कार्यों में अपयश प्राप्त हो या कोर्ट-कचहरी के मामलों में उलझे हो तो प्रदोष व्रत से काफी हद तक फायदा पहुँचता है|नियमानुसार विधिपूर्वक एंव श्रद्धा युक्त अंतःकरण से यह व्रत किये जाने पर इसके अधिकाधिक लाभ प्राप्त होते हैं|प्रदोष व्रत का प्रारंभ उत्तरायण में करना चाहिए|

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