कन्या (कंजक) पूजन: महत्वपूर्ण जानकारी के साथ जानें सही विधि:-
प्रिय देवी भक्तो जैसे कि आप सभी जानते हो कि अभी 18 मार्च से 25 मार्च तक नवरात्रि महोत्सव चल रहा है, किन्तु इस बार नवमी तिथि का क्षय होने के कारण आठ दिन के ही नवराते होंगे, तथा 25 मार्च को ही महागौरी व सिद्धिदात्रि दोनो माताओं के स्वरूप का पूजन होगा , व हवनादि के पश्चात 25 मार्च को ही प्रात: 9:30 बजे से 12:30 बजे तक कन्या(कंजक )पूजन व भोजन करवाना अत्यंत लाभदायक फलप्रद होगा।
कैसे करे कन्या पूजन–
नवरात्रि के दौरान देशभर में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है वहीं, आखिरी नवरात्रि के दिन शास्त्र अनुसार कंजक या कन्या पूजन करने का विधान है। इस कंजक पूजन को अष्टमी व नवमी पर किया जाता है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी मां का रूप मानकर पूजा जाता है। कन्या पूजन की शुरुआत कन्याओं के चरण धोने से होती है। इसके बाद उनको भगवती दुर्गा को लगा चने, हलवा-पूरी, खीर, पुए आदि का भोग का पूरी श्रद्धा से कन्याओं को खिलाया जाता है। इसके बाद उनसे झुककर आशीष लिया जाता है। सत्य और समर्पण भाव से उनको माता ही मानकर उनके आशीर्वाद को स्वीकार करने की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।
शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के बिना नवरात्रि पूजा के फल की प्राप्ति नहीं होती है। नवरात्र शक्ति उपासना का पर्व है। देवी पूजा के साथ साथ प्रतीक रूप में कन्या को देवी मानके उनके चरणों का पूजन करने से माता शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कंजक में 9 कन्याओं को बैठाना अवश्य होता है।
सर्वप्रथम कन्याओं का चरण फूल की थाली में जल में डालकर उसको धोएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पापों का शमन होता है।
फिर उनको तिलक लगाकर पंक्तिबद्ध बैठाएं। हाथ में रक्षासूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प अर्पित करें।
इसके पश्चात नई थाली (इसलिए कंजक में अक्सर थाली या टिफिन दिया जाता है) में कन्याओं को पूरी, हलवा, चना इत्यादि भोजन श्रद्धा पूर्वक परोसें। फिर मिष्ठान और प्रसाद देकर कुछ द्रव्य और वस्त्र का दान करें।
जब कन्याएं भोजन कर लें तो उन्हें शक्तिस्वरूपा देवी मानकर पुनः उनकी आरती करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
ज्योतिर्विद आचार्य गजानन शास्त्री