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हनुमान जी का जन्म श्री विष्णु व भगवान शंकर के मिलन का परिणाम है, पढ़ें ये रोचक कथा- आचार्य गजानन शास्त्री

शनिवार दि॰ 31.03.2018 को चैत्र माह की पूर्णिमा के उपलक्ष्य में हनुमान जयंती पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों में हनुमान जी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद हैं। कुछ शास्त्र हनुमान जी का जन्मोत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को मानते हैं व कुछ शस्त्र चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को मानते हैं। वास्तविकता में चैत्र पूर्णिमा हनुमान जी का जन्मदिवस है व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी हनुमान जी का विजय दिवस है। पौराणिक मतानुसार हनुमान जी का जन्म श्रीविष्णु व भगवान शंकर के मिलन का परिणाम है। समुद्रमंथन के पश्चात महादेव ने श्रीहरि के मोहिनी रूप को देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होंने देवताओं व असुरों को दिखाया था। महादेव व मोहिनी एक दूसरे को देखकर आकर्षित हो गए, जिसके परिणामस्वरूप, दोनों के युग्मन से बने भ्रूण को वायुदेव ने वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान जी का जन्म हुआ। हनुमान जी को महादेव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है।

हनुमान जयंती पर हनुमान जी की मूर्तियों पर चोला चढ़ाया जाता है, इस अनुष्ठान में चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर उसका लेप हनुमान जी पर चढ़ाया जाता है, इसके साथ चांदी का वर्क, जनेऊ, सोट्टा, लंगोट, खड़ाऊ। श्रृंगार हेतु काजल, इत्र, फूलमाला, तथा भोग में नारियल लड्डू व पान चढ़ाया जाता है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। इस दिन हनुमान जी के विशेष व्रत पूजन व उपाय से कमजोरों को बल की प्राप्ति होती है। बुद्धिबल में वृद्धि होती है व गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है।

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