Latest
Home / News / गोवत्स द्वादशी

गोवत्स द्वादशी

प्रिय भगवद भक्तो हर वर्ष की भांति इस वर्ष गोवत्स द्वादशी 25 अक्टूबर 2019 को पड़ रहा है, यह त्यौहार कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी को आता है|इसदिन गायों और बछड़ों की सेवा की जाती है| इस दिन प्रातः काल स्नानादि करके गाय बछड़े का पूजन करें,फिर उनको गेंहू के बने पदार्थ खिलायें|इस दिन गाय आदि का दूध गेंहू की बनी वस्तुएं और कटे फल नहीं खाना चाहिए|इसके बाद गोवत्स द्वादशी की कहानी सुनकर ब्राह्मणों को फल दान देवें|

गोवत्स द्वादशी की कथा

बहुत समय पूर्व भारत में सुवर्णपुर नामकनगर में देवदानी राजाराज्य करता था|उसके सवत्स एक गाय और एक भैंस थी|राजा के दो रानियाँ थी सीता और गीता|सीता भैंस से सहेली के सामान तथा गीता गाय,बछड़े से सहेली पुत्र सा प्यार करती थी|एक दिन भैंस सीता से बोली-हे रानी!गाय बछड़ा होने से गीता रानी मुझसे इर्ष्या करती है|सीता ने कहा यदि ऐसी बात है तो मै सब ठीक कर लूंगी|सीता ने उसी दिन गाय के बछड़े को काटकर गेंहू की राशि में गाड़ दिया|इसका किसी को पता नहीं चला|राजा जब भोजन करने बैठा तब मांस की वर्षा होने लगी|चारों ओर महल के अन्दर मांस और खून दिखाई देने लगा|जो भोजन की थाली थी उसका सब भोजन मल मूत्र हो गया|ऐसा देखकर राजा बहुत चिंतित हुआ|उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे राजन!तेरी रानी सीता ने गाय के बछड़े को काटकर गेंहू की राशि में दबा दिया है|इसी से यह सब कुछ हो रहा है|कल गोवत्स द्वादशी है इसलिए भैंस को राज्य से बाहर करके गाय और बछड़े की पूजा करो|दूध तथा कटे फल को नहीं खाना,इससे तेरा तप नष्ट हो जाएगा|सांयकाल जब गाय आई तब राजा पूजा करने लगा|जैसे ही मन में बछड़े को याद किया वैसे ही बछड़ा गेंहू के ढेर से निकलकर पास आ गया|यह देख राजा प्रसन्न हो गया|उसी समय से अपने राज्य में आदेश कर दिया कि सभी लोग गोवत्स द्वादशी का व्रत करें|

Check Also

astro welfare

2022 में ऋक् उपाकर्म (श्रावणी पूर्णिमा) शुक्ल-कृष्ण-यजु -उपाकर्म रक्षाबंधन कब और क्यों?

1.ऋक् उपाकर्म (श्रावणी पूर्णिमा) श्री मार्तंड,निर्णयसागर,त्रिकाल,भास्कर आदि पंचान्गानुसारेण| ऋग्वेदियों के इस उपाकर्म (ऋक् उपाकर्म)के तीन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!