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श्री एकरसानंद आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञानयोग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रिय बन्धुओं,

श्री एकरसानंद आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्री राम वदन पाण्डेय जी द्वारा मिली जानकारी के अनुसार हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्वामी श्री शारदानंद सरस्वती जी व महामंडलेश्वर श्री स्वामी हरिहरानंद जी के परम सानिध्य में 17-18 मार्च 2020 को श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञानयोग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है|

प्राचार्य जी ने बताया कि- इस संसार में ज्ञान से बढ़कर कोई दूसरा तत्व नहीं है, यही मनुष्य को मानवता प्रदान करता है| समूचा ब्रह्माण्ड एवं उसका ज्ञाता मनुष्य ही ईश्वर की अद्भुत सृष्टि है| हम वर्तमान में वैदिक विज्ञान के साथ-साथ ज्ञान की अनेको श्रेणियों को जानने के लिए सदैव लालायित रहते है, ज्ञाता-ज्ञात और ज्ञेय इसी त्रुपुटी से संसार की उन्नति प्रकल्पित होती है| ज्ञान के दो पथ सम्प्रति प्रचलित है,वेद एवं लोक दोनों में समस्त वैदिक ज्ञान एवं लौकिक ज्ञान-विज्ञान समाहित है| परन्तु लोक विज्ञान में आजकल असहिष्णुता और भयावहता का बोलबाला अधिक है, जबकि वैदिक विज्ञान आदिदैविक भौतिक और अध्यात्मिक दृष्टि से लोक कल्याणकारी है| लोक मांगल्य की भावना से गुरु-शिष्य की सनातन परम्परा से प्रदत्त ज्ञान लोकज्ञान से कही ज्यादा प्रभावकारी रहा है| इस ज्ञान के उपदेश की समस्त श्रेणिया सनातन परंपराये एवं वेदोपवेदो में वर्णित ज्ञानतत्व की परम्परा तथा दर्शन ग्रंथों की सारभूत तत्व कोटियाँ आदि का परिमार्जन एवं पूर्ण उपस्थापन ही इस संगोष्ठी का उद्देश्य रहेगा| आप इन समस्त विधानों के मान्य मनीषी है अत: आप से निवेदन है की संगोष्ठी में एक संबद्ध विषय में लेख के साथ आपकी उपस्थिति सादर प्रार्थित है| भगवद्गीता पुरे विश्व केलिए प्रत्येक विधाओ में सारभूत ग्रन्थ है|इसमें ज्ञानयोग का साक्षात् प्रसंग उपदेशो के रूप में लोकोपादेय है,इसी के चौथे अध्याय में वर्णित श्लोक से संगोष्ठी का विषय प्रकल्पित है-

तत्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया |

उपदेश्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्व दर्शिन||

उपविषय:-

1.उपदेश की शैलियाँ

2.गीता ज्ञानयोग एक विश्लेषण

3.निष्काम कर्म एक चिंतन

4.ज्ञान एवं अभ्यास विविध आयाम

5.गुरुशिष्य परम्परा का प्राच्य स्वरुप

6.गीताज्ञान के व्यावहारिक पक्ष

7.दर्शनों की तत्व परम्परा

8.साहित्य के विभिन्न उपदेश तथा उनका उपजीव्य

9.परिप्रश्न की विविध शैलियाँ

10.सांख्य ज्ञान योग का पुरातन स्वरुप

11.ध्यानयोग के व्यावहारिक पक्ष

12.लौकिक ज्ञान के शास्त्रीय सिद्धांत

13.व्याकरण के भाषा शास्त्रीय सिद्धांत

14. भारतीय समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास

कृपया सम्बद्ध विषय में हिंदी,अंग्रेजी एवं संस्कृत भाषा में न्यूनतम 05 पृष्ठों का kruti -10 में निबंध 29 फरवरी 2020 तक निम्नांकित पते पर भेजे| संगोष्ठी में कोई शुल्क नहीं है| चयनित अभ्यर्थियों को शयनयान का टी.ए भी दिया जायेगा| महाविद्यालय के बाहरी अभ्यर्थियों के आवास एवं भोजन की 17-18 मार्च 2020 की समुचित व्यवस्था रहेगी ||

निबंध हेतु ईमेल-

1.ekrasanand.sanskrit@gmail.com

2.maheshd942@gmail.com

संपर्क सूत्र-9412308402,9415812371,

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