यह कार्तिक मास कृष्ण पक्ष 13 त्रयोदशी को मनाया जाता है|इस दिन घर में लक्ष्मी का आवास मानते है इस दिन ही धन्वन्तरि वेद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे,इसलिए धनतेरस को ‘धन्वन्तरि-जयंती’भी कहते हैं|यह त्यौहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है|
धन तेरस की कथा
एक दिन भगवान विष्णु मृत्यु लोक में विचरण करने के लिए लक्ष्मी सहित भूमण्डल पर आये|कुछ देर बाद लक्ष्मी से बोले-कि मै दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ,तुम उधर मत देखना|यह कह ज्यो ही भगवान ने राह पकड़ी त्यों ही लक्ष्मी पीछे-पीछे चल पड़ी|कुछ ही दूर पर सरसों का खेत दिखाई दिया,उसके बाद ऊख(गन्ना) का खेत मिला|वहीँ लक्ष्मी जी ने श्रृंगार किया ओर ऊख तोडकर चूसने लगी|तत्क्षण भगवान लौट आए ओर यह देखकर लक्ष्मी पर क्रोधित होकर श्राप दिया-कि जिस किसान का यह खेत है,12 वर्ष तक उसकी सेवा करो|ऐसा कहकर भगवान क्षीर सागर चले गए ओर लक्ष्मी ने किसान के यहाँ जाकर उसे धन-धान्य से पूर्ण कर दिया|तत्पश्चात 12 वर्ष के बाद लक्ष्मी जी जाने के लिए तैयार हुई किन्तु किसान ने रोक लिया|भगवान जब किसान के यहाँ लक्ष्मी को बुलाने आये तो किसान ने लक्ष्मी को नहीं जाने दिया|तब भगवान बोले तुम परिवार सहित गंगा में जाकर स्नान करो और इन कौड़ियों को भी जल में छोड़ देना|जब तक तुम नहीं लौटोगे तब तक मै नहीं जाऊंगा|किसान ने ऐसा ही किया|
जैसे ही उसने गंगा में कौड़ियाँ डाली वैसे ही गंगा में से 4 चतुर्भुज निकले और कौड़ियाँ लेकर चलने को उद्यत हुए|तब किसान ने ऐसा आश्चर्य देखा गंगा जी से पूछा कि-ये चार भुजाएँ किसकी थी|गंगा जी ने बताया कि-हे किसान! वे चारों हाथ मेरे ही थे,तूने जो कौड़ियाँ मुझे भेंट की हैं,वे किसकी दी हुई हैं? किसान बोला-मेरे घर में दो सज्जन आयें हैं,उन्होंने ही दी है|
गंगा जी बोली-तुम्हारे घर जो स्त्री है वह लक्ष्मी है और पुरुष विष्णु भगवान है|तुम लक्ष्मी को न जाने देना,नहीं तो पुनः उसी भांति निर्धन हो जाओगे|यह सुन जब वह लौटा तो भगवान से बोला कि-मैं लक्ष्मी जी को नहीं जाने दूंगा|तब भगवान ने किसान को समझाया कि इनको मेरा श्राप था जो कि बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही है|फिर लक्ष्मी चंचल होती है इनको बड़े-बड़े नहीं रोक सके|किसान ने हठपूर्वक पुनः कहा-नहीं मैं लक्ष्मी जी को अब नहीं जाने दूंगा|इस पर लक्ष्मी जी ने स्वयं कहा कि-हे किसान!यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो सुनो|कल तेरस है,तुम अपना घर स्वच्छ रखो|रात्रि में घी का दीपक जला कर रखना तब मैं तुम्हारे घर में आउंगी|उस समय तुम मेरी पूजा करना,किन्तु मैं तुम्हे दिखाई नहीं दूंगी|किसान ने कहा-ठीक है,मैं ऐसा ही करूँगा|इतना कहा और सुन लेने के बाद लक्ष्मी जी दशों-दिशाओं में फ़ैल गई,भगवान देखते ही रह गये|दुसरे दिन किसान ने लक्ष्मी के कथानुसार पूजन किया|उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया|इसी भांति वह हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा|उस किसान को ऐसा करते देखकर कितने ही लोगों ने पूजा करना शुरू कर दिया|