भीष्म पंचक व्रत कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक निराधारा रहकर करना चाहिए |
प्रथम दिन – गो दुग्ध चरणामृत मात्र,
दुसरे दिन – दही चरणामृत मात्र,
तीसरे दिन – गो घृत चरणामृत मात्र,
चोथे दिन – गो मय (गोबर) चरणामृत मात्र,
पंचम दिन – गोमूत्र (पञ्च गव्य) चरणामृत मात्र, सेवन करे ||