कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी की गोपाष्टमी नाम से पुकारा जाता है|इस तिथि में गायों को स्नान कराके बछड़े सहित उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए|जल,अक्षत,रोली,गुड़,जलेबी,वस्त्र तथा धूप-दीप से आरती उतार कर परिक्रमा करनी चाहिए|इसके पश्चात भोजन करना चाहिए|सांयकाल जब गायें चरकर घर लौटें,तब साष्टांग प्रणाम पूजन कर उसकी चरणरज का तिलक लगाना चाहिए|ऐसा करने से चिर सौभाग्य की प्राप्ति होती है|इसी दिन भगवान कृष्ण को भी गोचारण के लिए वन में भेजा गया था|
