कार्तिक कृष्ण चौथ को व्रत करते हैं|इस दिन जब कहानी सुनते हैं,तब एक पट्टे पर जल का लोटा,बायना निकालने के लिए मिट्टी का करवा|मिटटी के करवे में जल,सिंघाड़ा,बेर,काचरा,फली,शक्कर,व पैसे डालते हैं|उसके ऊपर एक लाल व गुलाबी कपडा बांधते हैं|किसी-किसी जगह इस करवे में गेंहू भी भरते हैं,कहीं-कहीं शक्कर का करवा भी लाते हैं उसका बायना निकालते हैं|पट्टे पर या आँगन को लीपकर उसपर गेंहू रखकर पाटे पर तेरह बिंदी रोली की लगाकर करवे को रख देवें और हांथ में तेरह आखे गेंहू के लेकर कहानी सुने उनकी पूजा अर्चना करें|कहानी सुनने के बाद करवे का पानी सास,जेठानी,या बड़ी ननंद से पीवें और करवा,रुपये,साडी,ब्लाउज,मिठाई यदि इच्छा हो तो श्रृंगार का सामान रखकर बायना निकालकर दे देवें| रात को चाँद के उगने पर जल के लोटे से चंद्रमा को अरख देवें व पूजा करें व चालनी में चाँद देखें|उसके बाद खाना खा लेना चाहिए|इस दिन करवे की पूजा होती है|इसलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है|
