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पाली में कृष्ण रुक्मिणी विवाह कथा का दूसरा दिन कथा व्यास प्रभु प्रेमी जी के प्रेरणा से पालीवाल धाम रुक्मिणी मंदिर निर्माण हेतु समाज ने दिया करोड़ो का दान

पाली में आयोजित विशाल श्री कृष्ण रूखमणी कथा में व्यास भागवत कथा रसिक प्रखर वक्ता गो सेवा प्रेरक श्री कन्हैया लाल जी पालीवाल प्रभु प्रेमी जी महाराज ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव , बाल लीलाएं, गोरधन पूजा ,गोपी गीत आदि कथाओ का मधुर वाणी से श्रवण पान करवाते हुए कहा कि कंस पूतना नाम की एक क्रूर राक्षसी को ब्रज में भेजा। पूतना ने राक्षसी वेष तज कर अति मनोहर नारी का रूप धारण किया और आकाश मार्ग से गोकुल पहुँच गई।  गोकुल में पहुँच कर वह सीधे नन्द बाबा के महल में गई और शिशु के रूप में सोते हुये श्री कृष्ण को गोद में उठा कर अपना दूध पिलाने लगी। उसकी मनोहरता और सुन्दरता ने यशोदा और रोहिणी को भी मोहित कर लिया इसलिये उन्होंने बालक को उठाने और दूध पिलाने से नहीं रोका। पूतना के स्तनों में हलाहल विष लगा हुआ था। अन्तर्यामी भगवान् श्री कृष्ण सब जान गये और वे क्रोध करके अपने दोनों हाथों से उसका कुच थाम कर उसके प्राण सहित दुग्धपान करने लगे। उनके दुग्धपान से पूतना के मर्म स्थलों में अति पीड़ा होने लगी और उसके प्राण निकलने लगे। वह चीख-चीख कर मुक्त करने का आग्रह करने लगी।  वह बार-बार अपने हाथ पैर पटकने लगी और उसकी आँखें फट गईं। उसका सारा शरीर पसीने में लथपथ होकर व्याकुल हो गया। वह बड़े भयंकर स्वर में चिल्लाने लगी। उसकी भयंकर गर्जना से पृथ्वी, आकाश तथा अन्तरिक्ष गूँज उठे। बहुत से लोग बज्रपात समझ कर पृथ्वी पर गिर पड़े। पूतना अपने राक्षसी स्वरूप को प्रकट कर धड़ाम से भूमि पर बज्र के समान गिरी, उसका सिर फट गया और उसके प्राण निकल गये।ईश्वर के आगे पाप एवं अविद्या नहीं टिक सकती। अतः पाप एवं अविद्या की मूर्ति पूतना का भगवान् ने खेल ही खेल में वध कर दिया। 

पूतना पुरजन्म में दैत्यराज बाहुबली की पुत्री थी। जब भगवान् विष्णु ने दैत्यराज बाहुबली से वामन बनकर सब कुछ ले लिया तो उसके मस्तिष्क में विचार आया कि अगर वो भगवान् वामन की माँ होती तो उन्हें अपने स्तनों से जहर पिलाकर मार डालती। परमात्मा ने उसकी इच्छा की पूर्ति उसके स्तन से कालकूट विष के साथ उसके प्राण खीचकर कर दी। 

जब यशोदा, रोहिणी और गोपियों ने उसके गिरने की भयंकर आवाज को सुना तब वे दौड़ी-दौड़ी उसके पास गईं। उन्होंने देखा कि बालक कृष्ण भयंकर राक्षसी पूतना की छाती पर लेटे हुए उसके स्तनपान कर रहे हैं। उन्होंने बालक को तत्काल उठा लिया और पुचकार कर छाती से लगा लिया। वे कहने लगींकि भगवान चक्रधर ने तेरी रक्षा की और आगे भी भगवान् गदाधर रक्षा करें। इसके पश्चात् गोप ग्वालों ने पूतना के अंगों को काट-काट कर गोकुल से बाहर ला कर लकड़ियों में रख कर जला दिया। श्री कृष्ण के सामने अविद्या टिक नहीं सकती। दूसरे दिन कथा आरती करते हुऐ विष्णु दत्त जी पालीवाल जयपुर, डॉ उमेश जी पालीवाल कानपुर, योगेश जी पालीवाल नागपुर, आनंद जी पालीवाल नागपुर, जयपाल जी पालीवाल मुम्बई, आदि उपस्थित रहे, वही कथा श्रवण करने आए हुए समाज के भक्तों ने पालीवाल समाज की परंपरा एक ईंट एक रुपिया को आगे बढ़ाते हुए पाली में माँ रुक्मिणी जी के निर्माणाधीन मंदिर हेतु लाखो करोड़ो का दान किया, तथा कथा व्यास जी ने सभी पालीवाल समाज का मंदिर व सामाजिक कार्यो में बढ़चढ़कर दान करने का आह्वान किया।

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