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आत्माएं क्यों?और कैसे होती हैं आकर्षित ?

आत्माएं क्यों?और कैसे होती हैं आकर्षित ?

मनुष्य का शरीर जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश इन पांच तत्वों से निर्मित होता है। मृत्यु के पश्चात् जब मनुष्य स्थूल शरीर को छोड़कर सूक्ष्म शरीर धारण करता है तो इसमे मात्र दो तत्व शेष रह जातें है – वायु और आकाश तत्व, पृथ्वी तत्व समाप्त हो जाने के कारण पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण शक्ति का आत्माओं पर कोई असर नहीं होता। फलस्वरूप स्थूल शरीर के अलावा सूक्ष्म शरीर की शक्ति हजारों गुणा अधिक हो जाती है और विचारों के माध्यम से ही वे पूरे ब्रह्मांड में विचरण करने में समर्थ हो जाते हैं। आत्माओं की गति वायु से भी अधिक तेज होती है एक मिनट में वे पूरे ब्रह्मांड में विचरण कर सकते हैं। आत्माओं से संपर्क स्थापित करने के लिये प्रयोगकर्ता या साधक की इच्छा शक्ति तीव्र होना अति आवश्यक है। जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूं कि इस ब्रह्मांड में असंख्य आत्माएं विद्यमान हैं आत्माओं के इस भीड़ में मनोवांछित आत्माओं को बुलाने के लिए तीव्र इच्छाशक्ति का होना अति आवश्यक है। यह इच्छाशक्ति लगभग सभी मनुष्यों में विद्यमान रहती है। किसी में ज्यादा तो किसी में कम, मगर जो लोग मंत्र, तंत्र साधना एवं सिद्धियों में रूचि रखते हैं, उन लोगों में यह इच्छाशक्ति तीव्र होनी चाहिए। क्योंकि इच्छाशक्ति के माध्यम से ही हर असंभव कार्य को संभव किया जा सकता हैं।

मनुष्य के शरीर में अनंत शक्तियां छिपी है फिर भी उन शक्तियों का सद्उपयोग वह नहीं करता। योग के प्राणायाम, त्राटक आदि क्रियाओं के द्वारा इच्छा शक्ति को प्रबल एवं मन को नियंत्रित कर लिया जाये तो मनुष्य के पास अदभुत शक्तियां प्राप्त हो जाती है। कभी-कभी आपने अनुभव किया होगा कि आप किसी प्रिय व्यक्ति की याद करते हैं। और उस व्यक्ति का फोन तुरंत आ जाता है। कभी आप किसी काम के लिए कहीं जा रहे हैं तो मन में बार-बार यह विचार आता है कि शायद वहां जाकर मेरा काम नहीं बनेगा और जब वहां पहुंचकर वह काम वास्तव में नहीं बनता तब आप हैरान रह जाते है। इसी तरह कई बार ऐसी घटना घट जाती है, जिसकी आप कल्पना करते रहतें है। यह सब इच्छाशक्ति के माध्यम से स्वतः ही होने लगता है। जिनके पास इच्छा शक्ति अधिक होती है, उनकी संभावनाएं लगभग सत्य निकलती है। आत्माए इसी इच्छाशक्ति के माध्यम से आकर्षित होती हैं तथा साधक के सभी सवालों का जवाब दिया करती हंै। जैसा कि आप जानते हैं कि मन की सीमा एक सेकेंड में करोड़ों मील की रफ्तार से अधिक गतिमान रहती है। उसी तरह जब साधक आत्मा का ध्यान करता है तो पूरे ब्रह्मांड में मस्तिष्क की अल्फा तरंगे फैल जाती है और तीव्र इच्छा शक्ति के माध्यम से मनोवांछित आत्माओं तक संदेश प्राप्त हो जाता है तथा मस्तिष्क की विद्युत धारा की तरंगें आत्माओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। फलस्वरूप आत्माएं साधक के पास आकर अपने अनुसार जवाब दिया करती हैं।

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