1.ऋक् उपाकर्म (श्रावणी पूर्णिमा)
श्री मार्तंड,निर्णयसागर,त्रिकाल,भास्कर आदि पंचान्गानुसारेण|
ऋग्वेदियों के इस उपाकर्म (ऋक् उपाकर्म)के तीन काल हैं-
(i)श्रावण शुक्ल में श्रवण नक्षत्र|
(ii)श्रावण शुक्ल पंचमी
(iii)श्रावण शुक्लान्तर्गत हस्त नक्षत्र|
इनमे श्रवण नक्षत्र इनके उपाकर्म का मुख्यालय है|श्रवण नक्षत्र उत्तराषाढ़ा से अविद्ध (अस्पृष्ट)हो,संक्रांति/ग्रहण से अदूषित हो,तब यह उपाकर्म किया जाता है|इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा 12 अगस्त को अल्पकालिनी है|भले ही यहाँ इस दिन धनिष्ठा योग है,जो इस उपाकर्म का प्रशस्त्याधायक भी माना गया है,लेकिन इसके लिए त्रिमुहूर्त श्रवण भी यहाँ होना चाहिए,जो कि इस दिन नहीं है|अतः इस दिन यह उपाकर्म नहीं हो सकता|11 अगस्त को श्रवण उ.षा.से विद्धा (स्पृष्ट)है|अतः इस दिन भी यह उपाकर्म संभव नहीं|
अब श्रावण शुक्ल पंचमी, जो 2 अगस्त 2022 को पूर्ण पूर्वाह्ण को व्याप्त कर रही है,सर्वथा निर्दोष है और इस उपाकर्म के लिए उपयुक्त काल है|अतः यह उपाकर्म (ऋक् उपाकर्म)इसी दिन (2 अगस्त 2022ई.को ही) करना चाहिए | हालांकि 3 अगस्त 2022ई.को पूर्वाह्ण व्यापी हस्त में भी यह उपाकर्म किया जा सकता है|अतः अपनी-अपनी सुविधानुसार 2 एवं 3 अगस्त 2022 ई.को आप किसी भी दिन ‘ऋक् उपाकर्म’ निःशंक कर सकते हैं|
2.शुक्ल-कृष्ण-यजु उपाकर्म
सभी (शुक्ल एवं कृष्ण)यजुर्वेदियों के उपाकर्म के तीन काल हैं –
(i)श्रवण पूर्णिमा (ii)श्रावण शुक्ल पंचमी (iii)श्रावण शुक्ल में हस्त नक्षत्र
इनमे भी इनके उपाकर्म का मुख्य काल श्रावणी पूर्णिमा है,बशर्ते की वह पूर्णिमा ग्रहण-संक्रांति से सर्वथा अदूषित हो|
पूर्णिमा यदि कुछ मुहूर्त बाद प्रारम्भ होकर दुसरे दिन छः घटिव्यापिनी (त्रिमुहुर्ता)हो तो सभी (शुक्ल एवं कृष्ण)यजुर्वेदियों का उपाकर्म दुसरे ही दिन होता है|पूर्णिमा जब शुद्धाधिका होकर दोनों दिन सूर्योदय व्यापिनी हो तो सभी यजुर्वेदी उपाकर्म पहले दिन करते है|यदि पूर्णिमा पहले एक मुहूर्त या इससे अधिक काल बाद प्रारम्भ होकर दूसरे दिन 3 मुहूर्त से अधिक और 6 मुहूर्त से कम हो तो कृष्ण यजुर्वेदी दूसरे दिन और शुक्ल यजुर्वेदी पहले दिन इस उपाकर्म को करते है| यदि पहले दिन कुछ मुहूर्त बाद पूर्णिमा प्रारम्भ होकर दूसरे दिन तीन मुहूर्त से कम हो अथवा इसका क्षय हो जाने पर दुसरे दिन को स्पर्श ही न करे तो सभी यजुर्वेदियों का उपाकर्म पहले ही दिन होता है|इस वर्ष पूर्णिमा पहले दिन (11 अगस्त 2022 ई.को)कुछ मुहूर्त बाद शुरू हो रही है और दुसरे दिन यानी 12 अगस्त 2022 ई.को त्रिमुहुर्ताल्पा है|अतः उपरोक्त नियमानुसार सभी(शुक्ल एवं कृष्ण)यजुर्वेदियों का यह उपाकर्म (शुक्ल-कृष्ण-यजु उपाकर्म)पहले दिन यानी 11 अगस्त 2022ई.को ही होगा –यह स्पष्ट है|
3.रक्षाबंधन (श्रावणी पूर्णिमा)
अपराह्ण व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा में रक्षाबंधन किया जाता है|भद्रा में यह नहीं होता-“भाद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा|”
जब पहले दिन अपराह्ण में भद्रा हो,दुसरे दिन पूर्णिमा मुहूर्तत्रयव्यापिनी हो और भले ही वह अपराह्ण से पूर्व ही समाप्त हो जाए,तब रक्षाबंधन दुसरे ही दिन अपराह्ण में करना चाहिए,क्योंकि उस समय वहां साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व होता ही है|इस बारे ‘पुरुषार्थचिंतामणिकार’ का यह वचन विशेष प्रमाण है-“यदा द्वितीयापराह्णात् पूर्वं समाप्ता,तदापि ‘भद्रायां द्वे न कर्तव्ये’……इति भद्रायां निषेधादुत्तरैव|तत्र तिथ्यनुरोधेन अपराह्णात्पुर्वं अनुष्ठाने अपराहणस्य सर्वथा बाधापत्तेः,अपरह्णे ज्योतिष शास्त्र प्रसिद्ध-तथ्यभावेऽपि साकल्य-बोधित-तिथि-सत्त्वा तत्रैव अनुष्ठानं|”
जब दुसरे दिन पूर्णिमा मुहूर्तत्रयव्यापिनी नहीं होगी,तब अपराह्ण में साक्ल्यापादित पूर्णिमा भी नहीं होगी-यह स्पष्ट है|ऐसी स्थिति में पहले ही दिन प्रदोष के उत्तरार्ध में अथवा भद्रा की समाप्ति पर रक्षाबंधन करना चाहिए-यही शास्त्रादेश है|इस बारे में ‘पुरुषार्थ चिंतामणि’का यह वाक्य देखिये-“यदा तूत्तरत्र मुहुर्तद्वय (त्रय) मध्ये किंचित् न्यूना पौर्णमासी तदापरान्हे सर्वथा तद् भावात् , प्रदोष-पश्चिमौ-यामौ दिनवत् कर्म चाचरेत्, इति पराशरात् भद्रान्ते प्रदोष-यामे अनुष्ठानम्|”
पंजाब राजस्थान आदि अनेक प्रान्तों में परम्परया रक्षाबंधन के लिए अपराह्ण को स्वीकार नहीं किया जाता और मध्यान्ह से पूर्व ही(विशेषतयः प्रातः काल ही)रक्षाबंधन कर लिया जाता है|लेकिन यह शास्त्रानुमोदित नहीं है और भद्रा में तो रक्षाबंधन शास्त्रों द्वारा वर्जित माना गया है|
ध्यान रहे- ग्रहण वेध (सूतक)तथा संक्रांति दिन में यह निर्बाध मनाया जाता है|इस वर्ष 11 अगस्त 2022 ई. को अपराह्ण व्यापिनी श्रावण पूर्णिमा भद्रा से दूषित है|इस वर्ष इस दिन (11-8-22 को)प्रातः 10 घं.39 मि.तक चतुर्दशी है|चतुर्दशी में रक्षाबंधन नहीं होता|तदन्तर इस दिन भद्रा 10 घं.39 मि.से 20 घं. 52 मि. तक है|दुसरे दिन 12 अगस्त 2022 ई.को पूर्णिमा त्रिमुहुर्ताल्पा है|अतः 12 अगस्त 22 को रक्षाबंधन किसी भी स्थिति में नहीं हो सकता|
स्पष्ट- पहले दिन 11 अगस्त 2022 ई.को ही प्रदोषोतरार्ध में अथवा भाद्रोपरांत रक्षाबंधन होगा| इस दिन (11 अगस्त 2022 ई.)को प्रदोष काल चंडीगढ़ व आस-पास के प्रदेशों/नगरों में लगभग 19 घं.05 मि.से 21 घं.14 मि.तक है|प्रदोष-उत्तरार्ध इस दिन 20 घं.52 मि.के बाद ही रक्षाबंधन करें|लेकिन ध्यान रहे – इसे निशीथ से पूर्व अवश्य ही कर लें| आचार्य गजानन शास्त्री astrowelfare foundation नोखा ||