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मांद्य चंद्र ग्रहण विशेष जानकारी 10 जनवरी 2020 भारत में दिखेगा ❌ लेकिन सूतक और ग्रहण का असर नहीं रहेगा

🙏🌞मांद्य चंद्र ग्रहण विशेष जानकारी 10 जनवरी 2020 भारत में दिखेगा ❌ लेकिन सूतक और ग्रहण का असर नहीं रहेगा।

🌒इस साल की शुरुआत में शुक्रवार 10 जनवरी 2020 यानी पूर्णिमा को मांद्य चंद्र ग्रहण लगेगा। मांद्य चंद्र ग्रहण होने से इस ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण काल में पूजा-पाठ आदि कर्म किए जा सकेंगे। नासा ने भी अपनी वेबसाइट पर चंद्र ग्रहण दिखने वाली जगहों में भारत का जिक्र किया है लेकिन ये ग्रहण वैसा नहीं है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है। इसमें चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, सिर्फ चंद्र के आगे धूल की एक परत-सी छा जाएगी। इस कारण ज्योतिषीय मत में चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं होगा।पिछले 10 साल में 6 बार हो चुका है ऐसा मांद्य चंद्र ग्रहण I 2020 से पहले ऐसा चंद्र ग्रहण 11 फरवरी 2017 को दिखा था।

🚩ज्योतिषाचार्य के अनुसार साल 2020 में चंद्र ग्रहण को लेकर कई पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांगों के अनुसार तो इस साल चंद्र ग्रहण होंगे ही नहीं, जबकि कुछ पंचांग में साल भर में 4 चंद्र ग्रहण होंगे। निर्णय सागर पंचांग के मुताबिक 10 जनवरी को लगने वाला ग्रहण रात में 10.38 बजे से शुरू होगा। इसका मध्य 12.40 बजे होगा, इसका मोक्ष रात 2.42 बजे पर होगा। ये ग्रहण करीब 4 घंटे 50 मिनट का रहेगा।

🌐🌓कहां-कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण🌍🌜

10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में होगा। ये ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा। इनके अलावा भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखेगा, लेकिन मांद्य ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक नहीं रहेगा। हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा। 12 बजे के बाद अगली तारीख यानी 11 जनवरी लग जाएगी।

🌜चंद्र ग्रहण 10 जनवरी शुक्रवार रात 10.38 बजे से शुरू होकर 11 जनवरी 2.42 बजे खत्म होगा🌜

🌿पौराणिक कथा-🔥

हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण लगने के पीछे राहु केतु होते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पाने को लेकर युद्ध चल रहा था। अमृत को देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और सभी में अमृत बराबर बराबर बांटने के लिए राजी कर लिया। जब मोहिनी का रूप लिए भगवान विष्णु अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर बैठ गया। जिससे अमृत उसे भी मिल जाए। जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को इस बात की भनक हो गई कि वह असुर है और ये बात उन्होंने भगवान विष्णु को बता दी। विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी। क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं। उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम से जाना गया। ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण राहु केतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगाते हैं।

🌹मांद्य चंद्र ग्रहण किसे कहते हैं🌹

ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। एशिया के कुछ देशों, यूएस आदि में ये ग्रहण देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया। इस प्रभाव को भी बहुत कम ही लोग समझ पाएंगे। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।

🌑चंद्र पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी🌑

इस ग्रहण में चंद्रमा पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी। राहु एक छाया ग्रह है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में चंद्र पर छाया के रूप में राहु दिखता है, लेकिन इस ग्रहण में छाया नहीं बनेगी। जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी नहीं होगी। यह ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है।

💥क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण💥

जब चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। तब पृथ्वी की वजह से चंद्र पर सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जबकि मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस वजह से मांद्य चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है।

💎उपच्छाया ग्रहण किसे कहते हैं💎

किसी भी ग्रहण की खगोलीय घटना के साथ उसकी धार्मिक मान्यता का भी महत्व है। चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। लेकिन इस ग्रहण में चंद्रमा पर कोई प्रच्छाया नहीं है। यह केवल उपच्छाया ग्रहण है, जो कि सिर्फ आंख से नहीं दिखेगा। इसलिए इसे ग्रहण कहने के बजाए छाया का समय कहा जाता है।नहीं लगेगा सूतक, ना होगा कोई असर

इस चंद्र ग्रहण को लेकर किसी तरह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मांद्य चंद्र ग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत। ज्योतिष के प्रसिद्ध निर्णयसागर पंचांग के अनुसार इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं है।

सूतक काल न लगने के कारण न ही मंदिरों के कपाट बंद किए जाए और न ही पूजा-पाठ वर्जित होगी। इस दिन आप नॉर्मल दिन की तरीके रह सकते है। 

🌞10 जनवरी को पौष पूर्णिमा भी पड़ रही है। इसलिए स्नान ग्रहण के बाद करना शुभ होगा।🌞 
 
🙏धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के समय भगवान का स्मरण करना चाहिए। इस दौरान भोजन करने, सोने, शुभ या नवीन कार्य करने, जल पीने, केश बनाने, मंजन करने, वस्त्र नीचोड़ने, संभोग करने आदि को वर्जित माना गया है। ग्रहण काल के समय चांद्र या सूर्य को देखना भी वर्जित माना गया है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चंद्रमा या सूर्य को देखने से व्यक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को भी विशेष रूप से सतर्कता बरतने की जरूरत बताई गई है। ग्रहण काल में सूर्य या चंद्रमा के दर्शन करने से गभर्वती महिलाओं के बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

2020 में होंगे 4 चंद्र ग्रहण

इस साल 4 चंद्र ग्रहण होंगे। ये चारों ही ग्रहण मांद्य चंद्र ग्रहण रहेंगे। 10 जनवरी वाला ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा। इसके बाद तीन अन्य चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे। दूसरा ग्रहण शुक्रवार, 5 जून को होगा। तीसरा रविवार, 5 जुलाई को और चौथा सोमवार, 30 नवंबर को होगा।

👍साल 2020 के आगामी ग्रहण-

💥10 जनवरी – चंद्र ग्रहण

💥5 जून – चंद्र ग्रहण

💥21 जून – सूर्य ग्रहण

💥5 जुलाई – चंद्र ग्रहण

💥30 नवंबर -चंद्र ग्रहण

💥14 दिसंबर – सूर्यग्रह

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